Somatic embryogenesis- concepts, prospects and uses
1. सामान्य परिचय (General Introduction):-
· कायिक भ्रूणजनन (Somatic Embryogenesis):- कायिक कोशिका से कायिक भ्रूण के निर्माण की प्रक्रिया को कायिक भ्रूणजनन कहते हैं।
(The process of the development of a somatic embryo from a somatic cell is called somatic embryogenesis.)
· भ्रूणाभ (Embryoid):- जाइगोटिक भ्रूण की तुलना में कायिक भ्रूण छोटा व सुसंगठित संरचना होता है जिसे भ्रूणाभ कहते हैं।
(In comparison to the zygotic embryo, the somatic embryo is a small and well-organized structure called the embryoid.)
2. इतिहास (History):-
· J. Reinert (1958-59):- इसने सबसे पहले गाजर में कृत्रिम कायिक भ्रूणजनन को देखा।
(He first observed artificial somatic embryogenesis in carrot.)
· F. C. Steward, M. O. Mapes and K. Mears (1958):-
इन्होने गाजर में स्वतंत्र निलंबित कोशिकाओं से कायिक भ्रूणजनन को देखा। इन्होने कायिक भ्रूणजनन में नारियल पानी(Coconut milk) के महत्व को बताया।
(They observed somatic embryogenesis from freely suspended cells in carrot. He explained the importance of coconut water in somatic embryogenesis.)
· N. S. Rangaswamy (1961):- इसने नींबू में कायिक भ्रूणजनन का विस्तार से अध्ययन किया।
(He studied the somatic embryogenesis in lemon in detail.)
· R. N. Konar and K. Nataraja (1969):- इन्होने Ranunculus sceleratus के विभिन्न पुष्पीय भागों व कायिक ऊतकों को लेकर कायिक भ्रूणजनन का अध्ययन किया।
(He studied somatic embryogenesis by taking different floral parts and somatic tissues of Ranunculus sceleratus.)
· P. V. Ammirato (1974):- इसने Carum carvi की कोशिकाओं से विकसित हो रहे कायिक भ्रूणो पर ऐब्सिसिक अम्ल के प्रभाव का अध्ययन किया।
(He studied the effect of abscisic acid on somatic embryos developing from Carum carvi cells.)
3. सिद्धान्त (Principle):-
· जाइगोटिक भ्रूण व कायिक भ्रूण दोनों परिवर्धन का समान पैटर्न प्रदर्शित करते हैं।
(Both zygotic embryos and somatic embryos exhibit similar patterns of development.)
· एकबीजपत्री पादपों में दोनों प्रकार के भ्रूण आदर्श रूप से निम्न विकासीय अवस्थाओं से होकर गुजरते हैं –
(In monocot plants both types of embryos typically pass through the following developmental stages -)
i. ग्लोबुलर अवस्था (Globular Stage)
ii. स्कुटैलर अवस्था (Scutellar Stage)
iii. कोलिओप्टाइलर अवस्था (Coleoptilar Stage)
· द्विबीजपत्री व कोनिफर पादपों में दोनों प्रकार के भ्रूण आदर्श रूप से निम्न विकासीय अवस्थाओं से होकर गुजरते हैं –
(In dicot and conifer plants, both types of embryos typically pass through the following developmental stages -)
i. ग्लोबुलर अवस्था (Globular Stage)
ii. हिरद्य अवस्था (Heart Stage)
iii. टॉरपीडो अवस्था (Torpedo Stage)
iv. बीजपत्रीय अवस्था (Cotyledonary Stage)
· भ्रूण विकास द्विध्रुवीय होता है। एक सिरे पर प्ररोह व विपरीत सिरे पर मूल निर्माण के लिए ऊतक होता है।
(Embryo development is bipolar. There is one end for shoot formation and the opposite end for root formation.)
· प्रारम्भिक कोशिका में एक असमान विभाजन होता है जिससे एक छोटी व एक बड़ी कोशिका बनती है। बड़ी कोशिका रिक्तिकामय होती है। छोटी कोशिका सघन कोशिकाद्रव्य युक्त होती है जिसे भ्रूणजनित कोशिका कहते हैं।
(The initial cell undergo an unequal cell division, forming a small and a large cell. A large cell is vacuolated. The small cell contains dense cytoplasm called embryonic cells.)
· अब भ्रूणजनित कोशिका 2 प्रकार से विभाजन कर सकती है-
(Now embryonic cells can divide in 2 ways-)
i. अनियमित विभाजनों द्वारा कैलस ऊतक का निर्माण कर सकती है।
(Callus tissue can be formed by irregular cell divisions.)
ii. नियमित व अधिक सुसंगठित विभाजनों द्वारा कायिक भ्रूण का निर्माण कर सकती है।
(By regular and more organized cell divisions, the somatic embryo can form.)
· बाद में मूल शिखाग्र व प्ररोह शिखाग्र बन जाते हैं और ग्लोबुलर अवस्था विकसित हो जाती है। इसके पश्चात अन्य अवस्थाओं से होता हुआ भ्रूण परिपक्वता की ओर बढ़ता है।
(Later the root apex and shoot apex are formed and the globular stage develops. After this, the embryo goes towards maturity through other stages.)
· जाइगोटिक भ्रूणजनन में भ्रूण परिपक्व हो जाता है और निम्न लक्षण प्रदर्शित करता है –
(In zygotic embryogenesis, the embryo matures and exhibits the following characteristics -)
i. परिपक्व भ्रूण आकारिकी
(Mature Embryo Morphology)
ii. संग्रहित कार्बोहाइड्रेट्स, लिपिड्स व प्रोटीन्स का जमाव
(Accumulation of storage carbohydrates, lipids and proteins)
iii. जल की मात्रा में कमी
(Reduction in water content)
iv. उपापचयन में क्रमिक कमी
(Gradual decline of metabolism)
· सामान्यतया कायिक भ्रूण पूर्ण रूप से परिपक्व नहीं होता है। इसकी बजाय वातावरणीय कारकों के कारण कायिक भ्रूण अपने सामान्य विकासीय पैटर्न से विचलित हो जाता है जिसके 3 भविष्य हो सकते हैं –
(Normally the somatic embryo is not fully mature. Instead, due to environmental factors, the somatic embryo deviates from its normal developmental pattern, which can have 3 fates -)
i. कैलस उत्पन्न कर सकता है।
(Callus can be produced.)
ii. प्रत्यक्ष द्वितीयक भ्रूणजनन कर सकता है।
(May perform direct secondary embryogenesis.)
iii. असामयिक रूप से अंकुरित हो सकता है।
(May germinate before maturation.)
· कायिक भ्रूणजनन 2 प्रकार से हो सकता है–
(There are two types of somatic embryogenesis-)
a. प्रत्यक्ष भ्रूणजनन (Direct Embryogenesis)
b. अप्रत्यक्ष भ्रूणजनन (Indirect Embryogenesis)
a. प्रत्यक्ष भ्रूणजनन (Direct Embryogenesis):- जब कर्तोतक की कोशिकाएं कैलस न बनाकर सीधे भ्रूण में परिवर्धित हो जाती हैं तो इसे प्रत्यक्ष भ्रूणजनन कहते हैं। यह बहुत कम देखने को मिलता है। उदाहरण – ओरचार्ड घास (Dactylis glomerata) के संवर्धन में पर्ण मध्योतक कोशिकाओं से सीधे कायिक भ्रूणो का निर्माण होता है।
(When the cells of the explant do not form a callus and develop directly into an embryo, it is called direct embryogenesis. This is rarely seen. Example - In culturing of Orchard grass (Dactylis glomerata), somatic embryos are produced directly from the mesophyll cells.)
b. अप्रत्यक्ष भ्रूणजनन (Indirect Embryogenesis):- जब कर्तोतक की कोशिकाएं पहले कैलस में विकसित होती हैं और फिर कैलस की किसी एक भ्रूणजनित कोशिका से कायिक भ्रूण परिवर्धित होता है तो इसे अप्रत्यक्ष भ्रूणजनन कहते हैं। यह बहुत अधिक देखने को मिलता है।
(When the explant cells first develop into a callus and then the somatic embryo develops from one of the embryonic cell of the callus, it is called indirect embryogenesis. It is most commonly seen.)
4. महत्व (Importance):-
· अपस्थानिक भ्रूणो का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है।
(Adventitious embryos are produced on a large scale.)
· अपस्थानिक भ्रूण द्विध्रुवीय होते हैं जो सीधे सम्पूर्ण पादपक का निर्माण करते हैं। अलग से मूल निर्माण माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
(The adventitious embryos are bipolar which directly develop into the entire plant. A separate root formation medium is not required.)
· कायिक भ्रूणो में संग्रहित भोजन नहीं होता है। इनके कैप्सूलिकरण से कृत्रिम संश्लिष्ट बीजों का निर्माण किया जाता है।
(Somatic embryos do not contain stored food. Artificial synthetic seeds are produced by their encapsulation.)
· अंगजनन के विपरीत कायिक भ्रूण एकल कोशिकाओं से विकसित हो जाते हैं। इसलिए उतपरिवर्तन अध्ययन में इनका अधिक महत्व है।
(In contrast to organogenesis, somatic embryos develop from single cells. Therefore, they are more important in the study of mutation.)
· रोग मुक्त पौधे उत्पन्न किए जा सकते हैं।
(Disease-free plants can be produced.)