Anther culture and haploid plants
परागकोष संवर्धन (Anther Culture):-
1. परिचय (Introduction):-
· परिभाषा (Definition):- यह एक कृत्रिम तकनीक है जिसके द्वारा परिवर्धित हो रहे परागकोषों को एक बन्द पुष्प कालिका से एक ठीक व नाजुक अवस्था पर निकाला जाता है और पोषक माध्यम पर संवर्धित किया जाता है। जहाँ परागकोष के अंदर उपस्थित लघुबीजाणु कैलस ऊतक या भ्रूण समान संरचना में विकसित हो जाते हैं जो अंग निर्माण या भ्रूण निर्माण के माध्यम से अगुणित पौधों का निर्माण करते हैं।
(It is an artificial technique by which the developing anthers are collected from a closed floral bud at a fine and delicate stage and cultured on a nutrient medium. Where the microspores develop into callus tissue or embryo like structure, that develop haploid plants through organ formation or embryo formation.)
· अभी तक लगभग 250 पादप जातियों में परागकोष संवर्धन किया गया है। तीन कुलों में अधिक सामान्य है –
(So far anthers have been cultured in about 250 plant species. The three families are more common -)
i. Solanaceae
ii. Criciferae
iii. Poaceae
2. इतिहास (History):-
· W. Tulecke (1953):- इसने सबसे पहले देखा कि अनावृतबीजी पौधे Ginkgo biloba के परिपक्व परागकणों को संवर्धन में अगुणित कैलस निर्माण के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
(He first observed that mature pollens of the gymnosperm plant Ginkgo biloba can be induced to form haploid callus in culture.)
· S. Guha and P. Maheshwari (1964):- इन्होने सबसे पहले देखा कि Datura innoxia के निकाले गए परागकोषों के संवर्धन से लघुबीजाणुओं से भ्रूणो का प्रत्यक्ष विकास होता है।
(They first observed that the embryos are developed from the microspores directly in anther culture of Datura innoxia.)
· J. P. Bourgin and J. P. Nitsch (1967):- इन्होने तंबाकू (Nicotiana tabacum) के परागकोष संवर्धन द्वारा पूर्ण रूप से अगुणित पौधे प्राप्त किए।
[They obtained fully haploid plants by the anther culture of tobacco (Nicotiana tabacum).]
· Niizeki and Oono (1968):- ये जापान के वैज्ञानिक थे। इन्होने धान में परागकोष संवर्धन करके पादप प्रजनन के लिए अगुणित पौधे विकसित किए।
(He was a Japanese scientist. He developed haploid plants for plant breeding by anther culture in paddy.)
3. सिद्धान्त (Principle):-
· लघुबीजाणु की पूर्णशक्तता के उपयोग से अगुणित पौधे का निर्माण किया जाता है।
(The haploid plant is produced using the totipotency of the microspore.)
· लघुबीजाणु में गुणसूत्रों का केवल एक समुचय उपस्थित होता है।
(Only one set of chromosomes is present in the microspore.)
· अगुणित पादप निर्माण की प्रक्रिया में लघुबीजाणु का नर युग्मक निर्माण का सामान्य विकास व कार्य रुक जाता है। कायिक कोशिका विभाजन के लिए इसे बलपूर्वक नए उपापचय पथ की ओर मोड़ दिया जाता है।
(In the process of haploid plant development, the normal growth and functioning of the microspore of developing male gametes is halted. It is forced into a new metabolic pathway for somatic cell division.)
· परागकोष संवर्धन में परागकोष के अंदर उपस्थित लघुबीजाणु के प्राकृतिक आवास व वातावरण को परिवर्तित नहीं किया जाता है। संवर्धन परिस्थितियों में माध्यम पर परागकोष का द्विगुणित ऊतक बिना विभाजन किए जीवित रहता है और पोषण प्रदान करके लघुबीजाणु के कायिक विभाजन को प्रेरित करता है।
(Anther culture does not alter the natural habitat and environment of the microspores present inside the anther. In culturing conditions, the diploid tissue of the anther survives on the medium without cell division and induces somatic cell division of the microspore by providing nutrition.)
4. विधि (Procedure):-
· पुष्पन पर तंबाकू की बन्द पुष्पीय कलिकाओं को एकत्रित करते हैं। 17 – 22 mm लंबाई की पुष्पीय कालिका का चयन करते हैं जब बाह्यदलों की लंबाई दलों की लंबाई के बराबर होती है। खुल रही सभी पुष्पीय कलिकाओं को त्याग देते हैं।
(Collect the closed floral buds of tobacco upon flowering. A floral bud of length 17 - 22 mm is selected when the length of the sepals is equal to the length of the petals. Discards all floral buds are to be opened.)
· चयनित पुष्पीय कलिकाओं को LAF कैबिनेट के अन्दर ले जाते हैं। प्रत्येक पुष्पीय कलिका में 5 परागकोष होते हैं और बन्द कलिकाओं के अन्दर इनकी सतह स्वत: निर्जमित होती है। पुष्पीय कलिकाओं के सतही निर्जमीकरण के लिए इन्हें पहले 10 सेकंड के लिए 70% ऐथेनोल में डुबोकर रखते हैं और फिर 10 मिनट के लिए 20% सोडियम हाइपोक्लोराइट विलयन में डुबोकर रखते हैं। अतिरिक्त रसायन को सतह से हटाने के लिए पुष्पीय कलिकाओं को निर्जमित आसुत जल से 3 बार धोते हैं। अंत में इन पुष्प कलिकाओं को निर्जमित पेट्रीडिश में स्थानांतरित कर देते हैं।
(Selected floral buds are carried inside the LAF cabinet. Each floral bud has 5 anther and its surface is sterilized automatically inside the closed buds. For surface sterilization of the floral buds, first of all dip them in 70% ethanol for 10 seconds and then in 20% sodium hypochlorite solution for 10 minutes. To remove excess chemicals from the surface, the floral buds are washed 3 times with sterilized distilled water. Finally these floral buds are transferred to the sterilized patridish.)
· अब एक तीखे चाकू के द्वारा कालिका के एक तरफ कट लगाते हैं और चिमटी की सहायता से दलों व बाह्यदलों को हटा देते हैं। अब एक अन्य चिमटी की सहायता से 5 पुंकेसरों को पुतन्तु सहित उखाड़कर एक अन्य निर्जमित पेट्रीडिश में स्थानांतरित करते हैं। अब 5 पुंकेसरों के पुतन्तुओं को चाकू या ब्लेड से काटकर अलग कर देते हैं जिससे केवल परागकोष रह जाते हैं। क्षतिग्रस्त परागकोषों को भी त्याग देते हैं।
(Now with a sharp knife, cut one side of the floral bud and remove the petals and sepals with the help of forceps. Now with the help of another forceps, collect 5 stamens along with their filaments and transfer them to another sterilized patridish. Now cut the filaments of 5 stamens with a knife or blade, leaving only the anthers. Damaged anthers are also discarded.)
· अब इन स्वस्थ व साबुत परागकोषों को ठोस अगार माध्यम पर स्थापित करते हैं। परागकोष संवर्धन के लिए निम्न में से कोई एक माध्यम उपयोग किया जाता है-
(Now these healthy and intact anthers are placed on solid agar medium. One of the following mediums is used for anther culture -)
i. MS माध्यम (MS medium)
ii. White माध्यम (White's medium)
iii. Nitsch & Nitsch माध्यम (Nitsch and Nitsch medium)
· प्रारम्भ में संवर्धन को अंधेरे में रखा जाता है। 3 – 4 सप्ताहों में परागकोष के अंदर उपस्थित लघुबीजाणु भ्रूणजनन करते हैं और संवर्धित परागकोषों से अगुणित भ्रूण बन जाते हैं। कुछ पौधों में परागकोष के प्रवर्धन द्वारा कैलस ऊतक का निर्माण हो सकता है जिन्हें अगुणित प्लांटलेट्स बनाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
(Initially the culture is kept in the dark. In 3–4 weeks, the microspores present inside the anther show embryogenesis and haploid embryos are developed from cultured anther. In some plants anther culture can lead to the formation of callus tissue that can be induced to form haploid plantlets.)
· अब इन अगुणित भ्रूणो को नये ताजा अगार माध्यम पर संवर्धन ट्यूब में स्थापित करते हैं। इस अवस्था पर संवर्धनों का 24 – 28°C ताप पर ऊष्मायन किया जाता है। 14 घंटे का प्रकाश व 10 घंटे का अंधकार दिया जाता है। प्रकाश की तीव्रता 2000 लक्स रखी जाती है।
(Now these haploid embryos are established on a new fresh agar medium in culture tube. At this stage the cultures are incubated at 24 - 28 ° C temperature. 14 hours of light and 10 hours of darkness are given. Light intensity is maintained at 2000 lux.)
· जब अगुणित प्लांटलेट्स की लंबाई 50 mm हो जाती है तो अगार माध्यम से स्वतंत्र करने के लिए नल के बहते हुए पानी में धोया जाता है। अब तुरन्त इन्हें औटोक्लेवित कम्पोस्ट युक्त छोटे गमलों में रोपित कर दिया जाता है। शुष्कन को रोकने के लिए प्रत्येक पौधे को काँच के बीकर से ढक देते हैं और आगे के परिवर्धन के लिए नम ग्रीन हाउस में रख देते हैं। कुछ सप्ताहों पश्चात काँच के बीकरों को हटा देते हैं और पौधों को मृदा युक्त बड़े गमलों में रोपित कर देते हैं जहाँ ये पौधे परिपक्व होकर अंत में पुष्पन करते हैं।
(When the length of haploid plantlets becomes 50 mm, they are washed in running tap water to free them from the agar medium. Now they are immediately planted in small pots containing autoclaved compost. To prevent drying, cover each plant with a glass beaker and place it in a moist greenhouse for further growth. After a few weeks, the glass beakers are removed and the plants are planted in large pots containing soil where these plants mature and eventually flowering.)
5. लाभ (Advantages):-
· आधारभूत अनुसंधान के लिए परागकोष संवर्धन की उपयोगिता
(Utility of Anther Culture for Basic Research)
· सरल (Simple)
· कम समय लेता है
(Less Time Consuming)
· उत्तरदायी (Responsive)
· उत्परिवर्तन का अध्ययन (Mutation Study):-
Ø अगुणित पौधों में प्रत्येक जीन का केवल एक ही युग्मविकल्पी पाया जाता है। इसलिए कोई भी अप्रभावी उत्परिवर्तन या लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
(In haploid plants, only one allele of each gene is found. Therefore any recessive mutation or trait is clearly visible.)
Ø घातक जीनों युक्त पौधे जीन पूल से निष्कासित हो जाते हैं।
(Plants containing lethal genes are expelled from the gene pool.)
Ø इस प्रकार उत्परिवर्तन का अध्ययन आसानी से किया जा सकता है।
(Thus mutation can be studied easily.)
· क्रायोजेनिक अध्ययन के लिए अगुणितों का उपयोग
(Use of Haploids for Cryogenic Study)
· पादप प्रजनन व फसल सुधार के लिए उपयोग:-
(For Plant Breeding and Crop Improvement:-)
Ø समयुग्मजी वंशक्रमों को उत्पन्न किया जा सकता है। इसके लिए अगुणित पौधों को कोल्चिसीन रसायन से उपचारित किया जाता है।
(Homozygous lines can be produced. For this, haploid plants are treated with colchicine chemical.)
Ø उत्परिवर्तन प्रजनन विधि का उपयोग फसल सुधार में किया जाता है।
(Mutation breeding method is used in crop improvement.)
· बागवानी पौधों के लिए अगुणित संवर्धन का अनुप्रयोग
(Application of Haploid Culture for Horticultural Plants)
· द्वितीयक मेटाबोलाइट्स के अध्ययन के लिए
(For Study of Secondary Metabolites Content)
6. हानियाँ (Disadvantages):-
· बिना क्षति पहुंचाए परागकोषों को निकालने के लिए कौशल की आवश्यकता होती है।
(Skill is required to remove anthers without damage.)
· धान्य फसलों में यह बहुत अधिक सफल विधि नहीं है।
(This is not a very successful method in cereal crops.)
· परागकोष की भित्ति द्विगुणित कोशिकाओं की बनी होती है जिससे द्विगुणित कैलस निर्माण व काइमेरा निर्माण का रिस्क रहता है।
(The anther wall is made up of diploid cells, which has the risk of developing diploid callus and chimera.)